दुनिया में एक बल्ब ऐसा भी है जो पिछले 110 साल से रोशन है।
नॉदर्न कैलिफोर्निया के लिवरमोर स्थित फायर स्टेशन-6 में लगा है यह बल्ब। यहां इसे उस समय लगाया गया था जब क्वीन विक्टोरिया की मौत हुई थी।
थॉमस एडिसन की ही तरह फेमस एडोल्फ चैलेट ने इस बल्ब को डिजाइन किया था। लेकिन यह अलग है कि एडोल्फ एडिसन की तरह कामयाब नहीं हो सके। जबकि उनके बल्ब ने साबित कर दिया है कि यह हाई वॉलटेज को भी सह सकने की क्षमता रखता है।
इस बल्ब को सबसे पहले 1901 में एल स्ट्रीट स्थित फायर डिपार्टमेंट के होज कार्ट हाउस में लगाया गया था। कुछ दिन बाद इसे यहां से हटा कर फायर हाउस में लगा दिया गया।
1903 में नए फायर स्टेशन-1 में ले जाया गया। 1937 में फायर हाउस की मरम्मत और इसे ठीक ठाक करने के दौरान यह बल्ब करीब एक हफ्ते तक बंद रहा।
पहले 75 साल तक यह बल्ब शहर की बिजली की सीधी लाइन पर 110 वॉल्ट के करंट से लगातार जलता रहा। 1976 से यह बल्ब कैलिफोनिर्या में लिवरमोर के फायर स्टेशन में जल रहा है। शुरू में यह 120 वॉल्ट के बिजली के करंट पर रोशनी फैला रहा था। तब तक किसी की नजर इस पर नहीं पड़ी। फिर एक दिन एक लोकल अखबार ने इस बल्ब के बारे में लोगों को जानकारी दी। तभी से इसकी प्रसिद्धि बढ़ती गई और इसको देखने वालों की तादाद बढ़ती गई। बल्ब के प्रोटेक्टर स्टीव बन के अनुसार यह इंजीनियरिंग की एक अनूठी मिसाल है। यह साफ है कि आज के मुकाबले पहले समय में चीजें बेहतर हुआ करती थी। यह बल्ब इसी की एक मिसाल है।
नॉदर्न कैलिफोर्निया के लिवरमोर स्थित फायर स्टेशन-6 में लगा है यह बल्ब। यहां इसे उस समय लगाया गया था जब क्वीन विक्टोरिया की मौत हुई थी।
थॉमस एडिसन की ही तरह फेमस एडोल्फ चैलेट ने इस बल्ब को डिजाइन किया था। लेकिन यह अलग है कि एडोल्फ एडिसन की तरह कामयाब नहीं हो सके। जबकि उनके बल्ब ने साबित कर दिया है कि यह हाई वॉलटेज को भी सह सकने की क्षमता रखता है।
इस बल्ब को सबसे पहले 1901 में एल स्ट्रीट स्थित फायर डिपार्टमेंट के होज कार्ट हाउस में लगाया गया था। कुछ दिन बाद इसे यहां से हटा कर फायर हाउस में लगा दिया गया।
1903 में नए फायर स्टेशन-1 में ले जाया गया। 1937 में फायर हाउस की मरम्मत और इसे ठीक ठाक करने के दौरान यह बल्ब करीब एक हफ्ते तक बंद रहा।
पहले 75 साल तक यह बल्ब शहर की बिजली की सीधी लाइन पर 110 वॉल्ट के करंट से लगातार जलता रहा। 1976 से यह बल्ब कैलिफोनिर्या में लिवरमोर के फायर स्टेशन में जल रहा है। शुरू में यह 120 वॉल्ट के बिजली के करंट पर रोशनी फैला रहा था। तब तक किसी की नजर इस पर नहीं पड़ी। फिर एक दिन एक लोकल अखबार ने इस बल्ब के बारे में लोगों को जानकारी दी। तभी से इसकी प्रसिद्धि बढ़ती गई और इसको देखने वालों की तादाद बढ़ती गई। बल्ब के प्रोटेक्टर स्टीव बन के अनुसार यह इंजीनियरिंग की एक अनूठी मिसाल है। यह साफ है कि आज के मुकाबले पहले समय में चीजें बेहतर हुआ करती थी। यह बल्ब इसी की एक मिसाल है।
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