Thursday, January 5, 2012

एक अंडा तक़रीबन 2000 रुपए में बिकता है |रोचक जानकारी |

हाथी के लिए एक कहावत है कि जिंदा हाथी लाख का और मर गया तो सवा लाख का। यही कहावत शुतुरमुर्ग पर भी फिट बैठती है। जिंदा शुतुरमुर्ग साल में 30 अंडे देता है और एक अंडा तक़रीबन 2000 रुपए में बिकता है इस तरह 30 अन्डो का मूल्य 60000 रुपए। 
लेकिन यदि शुतुरमुर्ग मर गया तो 45 से 50 किलों माँस के 45 से पचास हजार रुपए और उसकी चर्बी से 4 से 6 लीटर तेल निकलता है, जो 45 सौ रुपए लिटर बिकता है अर्थात 18 से 27 हजार रुपए। इसके अलावा इसकी चमड़ी से 8 वर्ग फीट लेदर निकलता है और इसके दोनों पंख बेहत किमती होते हैं। फिर इसके नाखून, दाँत और बालों की अलग अलग किमतें हैं। कुल मिलाकर यह 100000 के करीब।
इसके अंडों का आकार बहुत बड़ा होता है सामान्य मुर्गी के अंडे की अपेक्षा 23 गुना ज्यादा बड़े होते हैं। इसके एक अंडे का वजन 1 से 2 किलो तक का हो सकता है। एक अकेला अंडा ही पूरे परिवार का पेट भर सकता है। इसके एक अंडे से लगभग 14 से अधिक ऑमलेट बन सकते हैं।शुतुरमुर्ग का अंडा बेहद पोषक होता है।





कहानी "कोर्न फ्लेक्स" की| रोचक जानकारी |

1894 की बात है जब डॉ. जॉन कैलोग मिशिगन अमरीका के बैटल क्रीक सेनेटेरियम के सुप्रिटेंडेंट थे। वे तथा उनके भाई कीथ कैलोग मरीजों की सेवा करते थे। वहाँ कुछ मरीजों को शाकाहारी भोजन ही दिया जाता था और इसके लिए कीथ उबले हुए गेहूँ का इस्तेमाल करते थे। एक दिन कीथ उबले हुए गेहूँ का इस्तेमाल करना भूल गए और वे एकदम ढीले पड़ गए। कीथ ने उनको फेंका नहीं और एक रोलर के नीचे डाल दिया। उन्हें लगा कि इससे गेहूँ का आटा बन जाएगा, परंतु ऐसा नहीं हुआ। बल्कि इससे छोटे छोटे फ्लेक्स बन गए। कीथ ने उन फ्लेक्स को दूध में मिलाकर मरीजों को खिलाया जो उन्हें काफी पसंद आया। इसके बाद जॉन और कीथ ने कई अन्य धानों के साथ प्रयोग किया. मक्के के दानों के साथ किया गया प्रयोग सबसे सफल रहा और कीथ और जॉन ने अपने कोर्न फ्लेक्स को ग्रेनोस नाम दिया और उसका पेटेंट करा लिया। 1906 में कीथ ने कैलोग्स कम्पनी स्थापित की और कोर्न फ्लेक्स बेचने लगे।