1894 की बात है जब डॉ. जॉन कैलोग मिशिगन अमरीका के बैटल क्रीक सेनेटेरियम के सुप्रिटेंडेंट थे। वे तथा उनके भाई कीथ कैलोग मरीजों की सेवा करते थे। वहाँ कुछ मरीजों को शाकाहारी भोजन ही दिया जाता था और इसके लिए कीथ उबले हुए गेहूँ का इस्तेमाल करते थे। एक दिन कीथ उबले हुए गेहूँ का इस्तेमाल करना भूल गए और वे एकदम ढीले पड़ गए। कीथ ने उनको फेंका नहीं और एक रोलर के नीचे डाल दिया। उन्हें लगा कि इससे गेहूँ का आटा बन जाएगा, परंतु ऐसा नहीं हुआ। बल्कि इससे छोटे छोटे फ्लेक्स बन गए। कीथ ने उन फ्लेक्स को दूध में मिलाकर मरीजों को खिलाया जो उन्हें काफी पसंद आया। इसके बाद जॉन और कीथ ने कई अन्य धानों के साथ प्रयोग किया. मक्के के दानों के साथ किया गया प्रयोग सबसे सफल रहा और कीथ और जॉन ने अपने कोर्न फ्लेक्स को ग्रेनोस नाम दिया और उसका पेटेंट करा लिया। 1906 में कीथ ने कैलोग्स कम्पनी स्थापित की और कोर्न फ्लेक्स बेचने लगे।
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